सिविल सेवा परीक्षा परिणाम : जो मेरा है वो मेरा होके ही रहेगा

वर्ष 2013 और उसके बाद 2014, लगातार दो वर्षों तक सिविल सेवा परीक्षा में सफलता नहीं मिली तो यशलोक ने मुंबई की राह पकड़ ली और वहां एक बैंक में बतौर पीओ नौकरी शुरू कर दी। नौकरी करते हुए यशलोक ने किसी तरह दो वर्ष को काट लिए लेकिन उनके दिनो-दिमाक में सिर्फ एक ही सपना घूम रहा है और वह था सिविल सर्विसेज का। आखिरकार वह अपने शहर लखनऊ वापस आए और तैयारी में जुट गए। लगातार तीन असफलताएं भी उनके मनोबल को डिगा न सकी और जब आज मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा, 2019 का अंतिम परिणाम आया तो उनकी खुशी देखते ही बन रही थी।

मूल रूप से देवरिया के रहने वाले यशलोक की पूरी पढ़ाई लखनऊ में ही हुई। 12वीं सीएमएस से पूरा किया तो इंजीनियरिंग के लिए श्रीराम स्वरूप इंजीनियरिंग काॅलेज से बीटेक पूरा किया। पिता जी पुलिस में थे तो मन में सिविल सेवा का भाव बचपन से ही अंकुरित होने लगा था। इसलिए वह कहते हैं कि शुरूआती असफलता के बाद मैंने मुंबई में आइडीबीआइ बैंक में बतौर पीओ नौकरी शुरू कर दी थी लेकिन मन में सिविल सेवा का ही सपना था। दुबारा 2016 से तैयारी शुरू की, दुबारा असफलता आईं लेकिन हार नही मानी और इस बार 680वीं रैंक के साथ यह परीक्षा पास कर ली। यशलोक ने बताया कि उनका मुख्य परीक्षा में विषय लोक प्रशासन रहा है। वह अपनी सफलता के दो मंत्र कंसिस्टेंसी यानि कि लगातार पढ़ाई में लगे रहना और काॅन्फिडेंस यानि सफलता का आत्मविश्वास बताते हैं। यशलोक सिविल सेवा में आकर पलायन की समस्या को दूर करना चाहते हैं, ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोगों को महानगरों में दर-दर न भटकना पड़े।