जयपुरिया राजाजीपुरम कैंपस के जरूरतमंद अभिभावकों को फीस में 25 प्रतिशत तक की छूट

– स्कूल की जमीन को लेकर उठे विवाद को निदेशक ने स्कूल का नाम खराब करने का षड्यंत्र बताया
LUCKNOW : सेठ एम आर जयपुरिया, राजाजीपुरम कैंपस प्रशासन ने अभिभावकों को फीस में 10 से 25 प्रतिशत तक की रियायत देने का फैसला लिया है। स्कूल के निदेशक राकेश कुमार त्रिपाठी ने मंगलवार को राजाजीपुरम स्थित परिसर में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी अपने स्तर पर अभिवावकों को राहत देने के सराहनीय प्रयास किए हैं। सेठ एम आर जयपुरिया, राजाजीपुरम कैंपस प्रशासन भी इस मुश्किल घड़ी में सरकार, समाज, अभिभावक और अपने बच्चों के साथ खड़ा है।
राकेश कुमार त्रिपाठी ने यह भी बताया कि यह रियायत सिर्फ उन अभिभावकों को दी जायेगी जिनके ऊपर लाॅकडाउन के कारण आर्थिक संकट आ पड़ा है। इस सम्बंध में अभिभावकों द्वारा विद्यालय के प्रबंधतंत्र को लिखित रूप में आवेदन पत्र देना होगा जिसके दृष्टिगत विद्यालय प्रबंधतंत्र उचित निर्णय लेते हुए अभिभावकों का सहयोग अवश्य करेंगे।
निदेशक ने बताया कि उ.प्र. सरकार के आदेश दिनांक 27/4/20 के अनुसार विद्यालयों ने फीस में कोई वृद्धि नहीं की है और न ही सरकार के आदेश दिनांक 21/4/20 के अनुसार लाॅकडाउन/ स्कूल बंद रहने की अवधि तक कोई वाहन शुल्क लिया है।
भूमि विवाद सिर्फ नाम खराब करने का षड्यंत्र : प्रेस वार्ता के दौरान स्कूल की भूमि को लेकर चल रहे विवाद को निदेशक ने स्कूल का नाम खराब करने का षड्यंत्र बताया।उन्होंने कहा कि जयपुरिया, राजाजीपुरम कैंपस को पहले दिन से ही सभी अभिभावकों का प्यार और सम्मान मिल रहा है। लेकिन इस क्षेत्र के कुछ तथाकथित सफ़ेदपोश लोगों को यह रास नहीं आ रहा है।भूमि खरीदी और बेंची गई 2011 में लेकिन विवाद 2018 में उठाया गया है। यह सिर्फ कुछ ना कुछ विवाद खड़ा करके स्कूल की छवि खराब करने का षड्यंत्र है।
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने खुद स्कूल बनाने की अनुमति प्रदान की : स्कूल निदेशक ने कहा कि स्कूल की ज़मीन को लेकर खड़े किए गए सभी विवाद निराधार हैं। जमीन की रजिस्ट्री हुई है। उसका दाखिल ख़ारिज हुआ है। किसी भी व्यक्ति या विभाग ने कोई आपति दर्ज नहीं कराई। एलडीए ने नक्शा पास किया है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने खुद स्कूल बनाने की अनुमति प्रदान की है। बेसिक शिक्षा परिषद ने स्कूल को मान्यता प्रदान की। तब जाकर हमने यहां दाखिले लिए है। जिला अधिकारी तक ने 2019 में अपनी रिपोर्ट में स्कूल के पक्ष में दी है।
स्कूल निदेशक ने कहा कि आज जब यहां हजारों बच्चे पढ़ने आने लगे तो कुछ असामाजिक तत्व स्कूल की छवि खराब करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। यह विवाद आज से नहीं बल्कि करीब 22 महीनों से चल रहा है। दो चार महीने के बाद इससे उठाया जाता है।