September 7, 2020

जगदीश गांधी: शिक्षा को बनाया परिवर्तन का आधार

लखनऊ में अगर निजी स्कूली शिक्षा की बात हो और सिटी मांटेसरी स्कूल की बात न हो तो यह बात अधूरी सी रह जाएगी। स्कूलों की एक ऐसी श्रृंखला जो पूरे शहर भर में फैली और जिसके पास एक ही शहर में सर्वाधिक बच्चों का विश्व रिकाॅर्ड है। सिटी मांटेसरी स्कूल की जो भव्य इमारत हमें आज दिखती है, उनसी नींव कई दशक पुरानी है। छह दशक पूर्व पश्चिम उत्तर प्रदेश से आए युवक ने जब किराये के दो कमरों में स्कूल शुरू किया होगा तो किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन यह स्कूल इस शहर की पहचान बन जाएंगे। LU Beats की शिक्षक दिवस की विशेष श्रृंखला के तहत आज हम जानेंगे, सिटी मांटेसरी स्कूल की उस कहानी और इसके संस्थापक जगदीश अग्रवाल उर्फ जगदीश गांधी की जीवन यात्रा के बारे में –

युवा जगदीश गांधी

जगदीश गांधी बताते हैं कि देश की आजादी के समय उनकी आयु 12 वर्ष की थी और वह कक्षा छह के छात्र थे। देश अभी आजादी का जश्न मना भी नहीं पाया था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हो गई। इस घटना ने मुझे इतना झकझोर दिया कि मैंने आजीवन उनके आर्दर्शों पर चलने का प्रण देते हुए अपना नाम जगदीश गांधी रख लिया। पढ़ाई के सिलसिले में अलीगढ़ से लखनऊ आ गया और फिर यहीं का होकर रह गया।

सिटी मांटेसरी स्कुूल के संस्थापक जगदीश एवं भारती गांधी (फाइल फोटो, 1959)

1 जुलाई, 1959 को पत्नी भारती के साथ मिलकर 12, स्टेशन रोड पर किराये के दो कमरे लेकर पांच बच्चों के साथ स्कूल शुरू कर दिया। शुरू में तरह तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बेहद आर्थिक तंगी से दौर से गुजरने के बाद भी हौसला नहीं टूटने दिया। शिक्षा के द्वारा ही एक बेहतर भविष्य का निर्माण हो सकता है, इस प्रेरणा के साथ मैंने अपना सफर जारी रखा। अगले ही वर्ष 1960 में महानगर में एक नए विद्यालय की शुरूआत हो गई। हमारी अगली शाखा ने हमे हौसला दिया कि हम जिस राह पर चल रहे हैं, वह सही है और हम राजधानी लखनऊ में सरकारी और मिशनरी स्कूल के मध्य की रिक्तता को पाट सकते हैं।

सीएमएस: सर्वाधिक बच्चों का विश्व रिकाॅर्ड

इसके अगले वर्ष 1961 में पुराने लखनऊ के इलाके चैक में भी सिटी मांटेसरी स्कूल की एक नई शाखा शुरू हो गई। इसके बाद आरडीएसओ, आनंद नगर, अर्शफाबाद, अलीगंज, इन्द्रा नगर, जपलिंग रोड, कानपुर रोड, राजाजीपुरम्, गोमती नगर होते हुए इस समय 18 ब्रांच पूरे शहर में मौजूद हैं। उस दौर में हमारे सभी स्कूल उत्तर प्रदेश बोर्ड, इलाहाबाद से ही संबद्ध हुआ करते थे। लेकिन 80 का दशक आते आते शहरी क्षेत्रों में अभिभावकों का रूझान सीबीएसई और आइसीएससी बोर्ड की तरफ होने लगा। हमने परिवर्तन की इस आहट को बखूबी समझा और अपने विद्यालयों को केन्द्रीय बोर्ड में परिवर्तित कर दिया। हाल के दिनों में हमने अपने स्कूलों को इंटरनेशनल बोर्ड के साथ जोड़ दिया है।

जगदीश गांधी की गिनती न सिर्फ शहर बल्कि पूरे भारत के बड़े शिक्षाविदों में की जाती है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों पुरस्कार डाॅ. गांधी के नाम दर्ज हैं। 83 वर्ष की अवस्था में भी वह पूरी तन्मयता के साथ स्कूल संचालन की गतिविधियों में लगे रहते हैं। यह उनकी अथक मेहनत और दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि सिर्फ पांच बच्चों के साथ शुरू होने वाला सिटी मांटेसरी स्कूल इस 57,000 बच्चों के साथ एक विशाल परिवार में परिवर्तित हो चुका है।

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