लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में पंकज प्रसून ने लगाया विज्ञान और मनोरंजन का तड़का

Lu beats: Lucknow
लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के अवसर पर मालवीय सभागार में साहित्य उत्सव में प्रख्यात कवि पंकज प्रसून साइंस एवं साहित्य को मिलाकर एक विज्ञान व्यंग एवं कविता पाठ प्रस्तुत किया।
प्रस्तुति से पहले विश्वविद्यालय को नमन करते हुए अपने छात्र जीवन को स्मरण किया। और बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय अपने प्रतिभाशाली छात्रों को सदा स्मरण करता रहता है।
वैज्ञानिकों का शहर है लखनऊ यह बताते हुए विज्ञान को काव्य में प्रयोग करते हुए कुछ उत्तम प्रस्तुति किया।
पंकज प्रसून विज्ञान को सीरियस नहीं बल्कि सेलिब्रेशन बनाना चाहते हैं। आम जनमानस में कविता के माध्यम से विज्ञान को प्रसारित किया जा सकता है पंकज प्रसून का लक्ष्य है की विज्ञान कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल हो जिससे बच्चे के विकास के शुरुआती दौर में ही वह विज्ञान के सिद्धांतों को सीख जाए।
पहले मोम की खिड़की थी वह फिर लोहे का डोर हो गई
मीठे बोल बोलती थी फिर डेसीबल का शोर हो गई
शादी से पहले मुझको नाइट्रस ऑक्साइड लगती थी
शादी हुई तो एकदम से वह h2 so4 हो गई..
‘ तुमने ब्लॉक किया है मुझको लेकिन इतना बतला देना
दिल मे जो प्रोफ़ाइल है वो कैसे ब्लॉक करोगी
बन्द किये सारे दरवाजे लेकिन इतना समझा देना
मन की जो ओपन विंडो है उसको कैसे लॉक करोगी।
“अंतर्मन की विचरण सीमा इंटरनेट से बहुत बड़ी है
वाल फेसबुक की थी पहले आज
हमारे बीच खड़ी है”
“खुल गए उनके अकाउंट फेसबुक पर बैंक में जिनका कोई खाता नहीं है
कर रहे वो साइन इन और साइन आउट
जिनको करना साइन तक आता नहीं है।”
कैसे बने सहारा दिल
ब्लड पम्पिंग से हारा दिल
प्यार घटा है फैट बढा है
कोलेस्ट्रॉल का मारा दिल
तुम बनो तो मेरा मौन बनो मैं तेरे मीठे बोल बनू
तुम मेरा सिस्टोल बनो मैं तेरा डायस्टोल बनू
जाति धर्म सब अलग अलग हैं लेकिन एक हमारा दिल..
आज छल कपट ईर्ष्या द्वेषी जीन सक्रिय हैं
न्याय नीति बन्धुत्व के जीन सुप्त हो रहे हैं
प्रेम के क्रोमोसोम पर स्थित करुणा मैत्री दया के जीन विलुप्त हो रहे हैं।।
जो है सबसे बड़े रिस्क का वायरस
कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क का वायरस
कोरोना से ज्यादा खतरनाक है
उंसको कहते हैं सब इश्क का वायरस।
” तुम्हारी आंखों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण है
जिनमे नशा इस तरह भरा है
जैसे एसिड के डिब्बे में एल्कोहल धरा है”
जरूरत है तो मोहब्बत के करंट की
जुड़ गया है मन से मन का वायर
मैं आइंस्टीन तुम मेरी एमसी स्क्वायर..
समंदर की है बेचैनी उसे साहिल नहीं मिलता
यहां तो आदमी का आदमी से दिल नही मिलता
ज
जहां पर खून हिंदुस्तान का रग रग में बहता है
वहां की पत्तियों में आज क्लोरोफिल नही मिलता।
” जिंदगानी है एक्वेरियम की तरह
चल रही डार्विन के नियम की तरह इनको छेड़ो ना विस्फोट हो जाएगा भावनाएं हैं यूरेनियम की तरह
जब भी खोलो हमेशा लगेंगे जवां
खत सहेजें हैं हरबेरियम की तरह”
“भाती नहीं है हमको दिलो जान की बातें
आओ करें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की बातें”
इस प्रस्तुतीकरण में जेनेटिक इंजीनियरिंग मालेकुलर बायोलॉजी, एनवायरमेंटल साइंस, बायोकेमेस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, पैरासाइटोलॉजी, फिजिक्स के विषयों केंद्रित होगा।