May 30, 2021

30 मई: हिन्दी पत्रकारिता की नींव का दिन

गौसिया बानो, पत्रकारिता की छात्रा

आज की ताऱीख ऐतिहासिक तारीखों में दर्ज है। 195 वर्ष पूर्व 30 मई 1826 ई. को प्रथम हिंदी भाषा का समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा कलकत्ता से पहला हिंदी समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन शुरू हुआ जिसका अर्थ है उगता हुआ सूर्य। इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह समाचार पत्र उस समय की सामाजिक परिस्थितियों का संकेतक बना। हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाला इस अख़बार के केवल 79 अंक ही प्रकाशित हो पाए थे। आर्थिक कारणों की वजह से करीब डेढ़ साल बाद ही दिसंबर 1827 में इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा।
अंग्रेजी समाचार पत्रों के बीच में हिंदी अखबारों का दबदबा देख गोरी सरकारें आंग बबूला होती नज़र आती थी और भारतीय पत्रिकाओं का दमन करने के लिए हर मुमकिन कोशिश किया करती थी।

कठिन परिस्थितियां और मुश्किल दौर में भी हिंदी पत्रकारिता ने विदेशी सत्ता के नाक में दम कर रखा था। उस दौर में कुछ ऐसे संपादक मौजूद थे जिन्होंने अपनी क़लम से न केवल अखबारों को शीर्ष तक पहुंचाया बल्कि अंग्रेजी के नामचीन अखबारों को भी कड़ी टक्कर दी। आज वे हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में हिन्दी पत्रकारिता ने सम्मान को स्पर्श किया है।
मौजूदा समय में कई बड़े बड़े हिंदी भाषा के अखबार प्रकाशित किये जाते है जो बहुत लोकप्रिय है। डिजिटेलाइजेशन की तरफ बदलते दौर को देखते हुए अब प्रिंट मीडिया का भी विस्तार देखने को मिल रहा है। अब अखबारों को आसानी से मोबाइल पर पढ़ा जा सकता है। ई-पेपर जैसी सुविधा हर समाचार पत्रों द्वारा शुरू की गई है। इससे पाठकों की संख्या भी बढ़ी है क्योंकि अब पाठक किसी भी समय मोबाइल पर खबरें पढ़ सकते है।

दु:ख की बात है कि अब कुछ संपादकों की क़लम मालिकों के हाथ से चलती है। पत्रकारिता को व्यावसायिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि समर्पण की भावना से अपनाना चाहिए। सम्मान और गौरव की बात है कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। और यह सम्मान काय़म रखने की हमारी ज़िम्मेदारी और कर्तव्य है। समय और तकनीक के साथ यह जिम्मेदारी लगातार बढ़ती ही जा रही है।

आप सभी को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं।

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