दस देशों के कलाकार रचेंगे रामादर्शों का वैश्विक सरोकार, अंतरराष्ट्रीय कला शिविर का आगाज

लखनऊ : अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कला शिविर का शनिवार को उद्घाटन हुआ. इसका आयोजन 19 अक्टूबर तक किया जाएगा. संस्थान के निदेशक एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. लवकुश द्विवेदी ने दस देशों के प्रख्यात एवं प्रतिनिधि कलाकारों का अभिनंदन कर वैश्विक संदर्भ में भगवान राम पर अपने विचार व्यक्त कर कला शिविर का औपचारिक उद्घाटन किया.
इस अवसर पर प्रतिभागी कलाकारों ने कला क्षेत्र में अपने अवदान के साथ अपनी संस्कृति में राम के महत्व और भारतीय संस्कृति के आकर्षण पर चर्चा की. मुख्य वक्ता और वरिष्ठ कला समीक्षक डॉ गौतम चटर्जी ने कहा कि श्रीराम व्यापक चेतना और विराट चरित्र के प्रतीक पुरुष हैं. इसे हम रामायण, मानस की कथा और लोक कथाओं के साथ योगवासिष्ठ की उन कथाओं से भी समझ सकते हैं जहां गुरु वशिष्ठ श्री राम को जीवन की समझ देते हैं, जहां राम और सीता का दार्शनिक अभिप्राय नाद और बिंदु के सहअस्तित्व अर्थात युगल अर्धनारीश्वर रूपक से है. यही श्रीराम की वैश्विक उपस्थिति है जिससे सृष्टि सक्रिय है.

कार्यक्रम के समन्वयक सुपरिचित और सहृदय चित्रकार डॉ अवधेश मिश्र ने पूरे आयोजन का विहंगम दृश्य इसकी कलात्मक रूपरेखा के साथ प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि श्रीराम की सार्वभौम चेतना ही इस बार के आयोजन की मुख्य विषयबिंदु है, कि हम कला में उन्हे समग्र और सर्वव्यापी रूप में कैसे देखते हैं. उन्होंने उद्घाटन अवसर पर उपस्थित सभी चित्रकारों को एक दूसरे से परिचित कराया. ये सभी चित्रकार इन चार दिनों में अपने अपने कैनवास पर अपनी अपनी दृष्टि से श्रीराम के विचारों को रूप देंगे. स्वीडन की निशा शर्मा ने अपने कला माध्यम का परिचय देते हुए चित्र में बिंदु के सौष्ठव और महत्ता पर प्रकाश डाला. तुर्की के चित्रकार रेशत बसर ने आमंत्रण पर धन्यवाद अर्पित करते हुए कहा कि कला में परिवेश की भूमिका हमेशा बड़ी हो जाती है फिर भी कलाकार अपने अंतस को देखता और व्यक्त करता है.

यह भी हुए शामिल
रागिनी उपाध्याय, नेपाल, कोकोरदा अलित, इंडोनेशिया, स्वप्निल श्रीवास्तव, डेनमार्क, मनुषिका बुद्धिनी, श्रीलंका, निशा शर्मा, स्वीडन, प्रो रेसत बसर, तुर्की, ब्रायन मुल्विहिल, कनाडा, चंचल बंगा, इजराइल और सकार फरवक, क़ुर्ड्स ने कला की वैचारिक साझेदारी की ओर ध्यान आकर्षित किया. कार्यक्रम में जुड़े मास्को से डॉ रामेश्वर सिंह ने रूस और भारत के सांस्कृतिक संबंधों की चर्चा करते हुए भविष्य की योजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाने की बात कही. धन्यवाद ज्ञापित करते हुए शिविर के समन्वयक डॉ अवधेश मिश्र ने बताया की वैश्विक संदर्भ में राम विषय पर बने इन चित्रों को दीपोत्सव के अवसर पर अयोध्या में प्रदर्शित किया जाएगा जो कलाकारों, कला प्रेमियों और जनमानस के लिए उत्सुकता का विषय होगा.