March 17, 2022

रंगों से सज चुका है लखनवी बाजार


लखनऊ : होली, आनंद व उल्लास से भरा त्यौहार है. होली की सबसे खास बात होती हैं होली की खरीदारी. लखनऊ में त्यौहारों कि खरीदारी के लिए दो बड़े बाज़ार है तेलीबाघ मार्केट और भूतनाथ मार्केट, रंगो- उल्लास से यह दोनों लखनवी बाज़ार सजर चुके है. चारो तरफ ग्राहकों की भीड़ लगी है. इस बार दुकानों में चाइनीज़ रंगों कि बिक्री काम दिख रही है. लोग हर्बल और भारत में बनी रंगो एवं पिचकारियों की खरीदारी कर रहे है.


क्या है इन बाजारों की खास बात

लखनऊ के यह दो बड़े बाज़ार है. जहां त्यौहारों से संबंधित सारे समान आसानी से मिल जाते है. इन बाजारों कि सबसे ख़ास बात यह कि यह बड़े और छोटे दोनों तरह के व्यापारी मिलते है. अन्य बाजारों से ज्यादा यह रौनक और भीड़ होती है. चीज़े सस्ते दामों में मिल जाती है. इस बार इन बाजारों में हर्बल रंग ज्यादा मिल रहे जोकि हमारे त्वचा के लिए सुरक्षित है.

राशि सिंह बताती है कि भूतनाथ में अच्छे कपड़े , खान- पान से लेकर त्यौहारों से संबंधित सारी खरीदारी हो के दाम में हो जाती है , वह भूतनाथ मार्केट अपने परिवार के साथ अती रहती है

लखनऊ,भूतनाथ के व्यापारी ,रमेश कुमार बताते है कि त्योहारों के वक्त भूतनाथ में शाम बड़ी सुंदर होती है लोगो की भीड़ होती है, हर जगह चल पहल होती है , शाम में खरीदारी भी बहुत होती है , उन्होंने बताया कि उनकी दुकान हर त्योहार के मुताबिक लगती है जैसे होली है तो रंगों का व्यापार , रक्षाबंधन है तो राखी का व्यपापर


तेलीबाग में कपड़ों की प्यापरी शशि श्रीवास्तव बताती है की पीछे साल covid के चलते लोगो में दूसरी लहर के डर के कारण ग्राहकों की संख्या कम थी और बाज़ार में बिक्री भी कम थी पर इस बार ग्राहकों की भीड़ बहुत ज्यादा दिख रही है और दुकानों में कमाई भी अच्छी हो रही है.


ज्यादा भीड़ से हो रही समस्या
बाजारों में पार्किंग की सुविधा ना होने के कारण लोगो को बहुत समस्या हो रही है शाम के वक्त अचम भीड़ बढ़ने के कारण काफी देर तक ट्रैफिक जाम देखने को मिलता है इसी कारण कभी कभी लोग सड़क पर ही लड़ने लगते है. साथ ही साथ लोगो की भी भीड़ बढ़ जाती है. लोकल सरकारी कर्मचारियों ने पार्किंग की अच्छी तरह व्यवस्था नहीं कि है.

होली क्यों मानते है
ऐसा मानते है कि हरिद्रोही हिरणकश्यप द्वारा भक्त प्रह्लाद को अग्नि में जलाने का षड्यंत्र ,पूतना वध ,महाराजा मनु तथा चैतन्य महाप्रभु का जन्म दिन, भस्म हुए कामदेव को पुनर्जीवित करने और बच्चों को भयभीत करने वाले असुर का बच्चों द्वारा ही लकड़ी जलाकर अंत करने की खुशी में होली का त्यौहार मनाया जाता है. इन सभी पौराणिक कथाओं के अलावा होली का त्यौहार संकेत करता हैं अपने दुखी- खाली संसार में अलग- अलग रंगों और खुशियों से सभी परेशानियों को भूल के एक सकारात्मक भावना से जीवन में आगे बढ़ने का.

बदलते समय के साथ होली मनाने की परंपरा
बदलते वक्त के साथ साथ होली समारोह को मानने की परंपरा भी बटलती जा रही हैं,जहां पहले के समय में घर की माताएं , बहने और बहुएं मिलकर तरह-तरह के गुजिया , पापड़ और पकवानों को त्यार करती थी वहीं अब के समय की बात करे तो अब यह सभी चीज बाज़ार में आसानी से मिल जाते है . जहां पहले के समय में लोग होली की शाम को अपने सगे संबंधियों से मिलने जाते थे वहीं अब हम वीडियो काल और मोबाईल पर ही होली की बधाइयां दे देते है.

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