18 दिवसीय महिलाओं की ‘निर्भीक कदम’ पद यात्रा का समापन, 350 किमी का सफर किया तय

लखनऊ : राष्ट्रीय महिला दिवस और स्वतंत्रता संघर्ष के लगभग 100 वर्ष (1857-1947) में लाखों महिलाओं के कुर्बानी-शहादत व भूमिका को जनमानस तक पहुंचाने के लिए महिलाओं ने 350 किमी की 18 दिवसीय पद यात्रा की। यह यात्रा 13 फरवरी (राष्ट्रीय महिला दिवस) के अवसर पर भोजला, झांसी (वीरांगना झलकारी बाई के जन्म स्थान) से शुरू हुई। इसमें 100 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया और यात्रा के दौरान हजारों लोगों से संवाद हुआ और देश समाज के बारे में नए अनुभव हुए।

पद यात्रा की अगुवाई करने वाली उषा विश्वकर्मा ने कहा कि औरतों- आगे आओ। जागो और सभी बहनों को जगाओ । निडर निर्भय होकर आगे आओ । हजारों सालो से दबाई गई कुचली गई इंसानियत – पूरी इंसान जाति , तुम्हारा इंतज़ार कर रही है – तुम आओगी, जंजीरे कटोगी, आंसू पोछोगी , और फिर घर आंगन से लेकर देश दुनिया तक को संभालोगी , सवांरोगी । इंतज़ार में सदियाँ बीत गयी , पीढियां बीत गयी । औरतों , आगे आओं , इंसानियत तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हैं ।

इंसानियत पर जब – जब हमला हुआ, उसे ताकत के पैरों तले रौंदा गया , तब – तब हर बार तुम आखरी सैनिक की तरह आई और सेनापति की तरह लड़ कर इंसानियत को तुम्हीं ने बचाया। दुनिया की सबसे बड़ी शैतानी ताकत के ख़िलाफ़ तुम्हीं झलकारी बाई बनकर लड़ कर , शहादत देकर, लक्ष्मीबाई के साहस और नेतृत्व को प्रेरक शक्ति बना गयी, तुम्हीं फिर हज़रात महल बनकर सेनापति बनकर शैतानियत से लोहा लेती हो, ………. वक्त आगे बढ़ता है ………. और बीसियों हजारों की तादात में निहत्थे अहिंसक सैनिक बनकर तुम्हीं बर्तानवी हुकूमत की जेले भर देती हो ……… और सरोजिनी बनकर लक्ष्मी सहगल बनकर करोड़ों हिन्दुस्तानियों के हैसलों को , हिम्मत को बुलंदी तक उठाती हो। तुम्हीं ने 1907 में भिखानी काया बनकर पहली बार आज़ादी का झंडा फहराया, तुम्हीं ने दुर्गा (भाभी) बनकर क्रांतिकारी नौजवानों के दिलों में क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित की, जिसे आखिर तक अरुणा आसफ अली बनकर जेल में, सुभाष की सेना में लक्ष्मी सहगल बनकर बुझने नहीं दिया। भारत की आज़ादी की लड़ाई तुम्हारे बिना अधूरी है। अब उस 1947 की आधी अधूरी जीत की पचहत्तर साल बाद फिर ज़रुरत है कि उस लड़ाई को पूरी जीत तक पहुंचाया जाए I आगे ऐसा हिंदुस्तान बनाना है जिसका सपना उन लाखों बहनों माताओं ने देखा जिनके भाई, बेटें या पति शहीद हुए , हजारों औरतें जेल गयी , यातनाएं सही , बरबादियाँ बर्दाश्त की।

पद यात्री तारा ने कहा कि औरतों, तुम्हें फिर आगे आना होगा। तब सारी इंसानियत आज़ाद होगी , खुली हवा में सांस लेगी, बेख़ौफ़ होकर जी सकेगी, तभी तुम भी चैन ले सकोगी।

रेणुका टंडन, सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि औरतों , आगे आओ और इंसानियत बचाने के लिए एक समृद्ध सुखी राष्ट्र व समाज बनाने के लिए , आज ये घोषणा करों कि हम सब मिलकर नया हिंदुस्तान बनायेंगे।

पद यात्री मानसी ने कहा कि औरतों , आगे आओ। कल तुम्हारा है। कल तुम्हे ही घर भी चलाना है और देश भी। इंसानियत भी बनानी है और राष्ट्र भी। लड़कियों, औरतों आगे आओ और वीरांगना वाहिनी की स्थापना करो।

इस पद यात्रा में श्रीराम चैरिटेबल, अमरेन फाउंडेशन ने विशेष सहयोग किया। पदयात्रा समापन समारोह मे उषा विश्वकर्मा, रेणुका , विख्यात गांधीवादी राम धीरज, इंजीनियर मोहनलाल सिंगरिया, इपटा से राकेश , विजय प्रताप जी, कोरी समाज से सुभाष लहरी , जी. पी आंदोलन से अशोक गुप्ता और गिरेंद्र जी, हिदायत, आदर्श ऊरई से श्रद्धा जी, अतहर, शाजिया, रूफिना,तारालक्ष्मी,सपना,सविता, आकांक्षा ,करिश्मा, रीना, सीमा, सरिता,अनिता, सुजाता, उषा, लक्ष्मी , अनुपमा, पूजा, मानसी, तार, वैष्णवी, रिंकी, तनिष्का, प्रियंका , दीपक, शुभम, नूर, अशोक, शास्वत, समीर, मणिदीप, उपस्थित रहे।